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Thursday, December 26, 2024

What is the best SIP (systematic investment plan) in India with great returns? How long should the investment be done for?

What is the best SIP (systematic investment plan) in India with great returns? How long should the investment be done for?




While there's no definitive "best" SIP that universally fits all investors, due to varying risk profiles and financial goals, understanding how to evaluate and choose a SIP can help you find the one that best suits your needs. Well, firstly you need to know about different Asset Classes. Here are few Asset Classes, from which you can choose from:

- Equity Funds: Offer potentially high returns but with higher volatility. Suitable for long-term goals (more than 7 years) because they require time to overcome market fluctuations.

- Debt Funds: Generally, provide relative stable returns and are less volatile than equity funds. Suitable for short to medium-term investment horizons (1-5 years).

- Hybrid Funds: Combine equity and debt components. The risk and returns are typically moderate, making them suitable for medium-term goals (3-7 years).

- ELSS Funds (Equity Linked Savings Schemes): Offer tax benefits under Section 80C of the Indian Income Tax Act but come with a lock-in period of 3 years. They provide equity market-linked returns, making them suitable for both medium and long-term investments.

Now that you are aware about different asset classes, you need to choose the Ideal Asset Class, that is suitable for you. The process of selecting the right asset class for your SIP involves assessing several personal factors:

Risk Appetite: If you have high risk appetite, then equity funds are suitable for you, as they may deliver higher returns. If you have moderate risk appetite, Hybrid funds are ideal as they balance the risk and returns by investing in both equities and fixed-income securities. Lastly, if you have low risk appetite, Debt funds or money market funds are preferable due to their lower volatility.

Investment Horizon: If you have long-term i.e. 7+ years’ time horizon, then Equity funds or sector-specific funds which can potentially provide high returns over a long period. If you have medium-term (3-7 years): Hybrid funds can be suitable as it offers a mix of stability and growth. And for short-term i.e. 1-3 years’ time period, then Debt funds will be ideal as they are less risky and provide liquidity.

Investment Objective: If your goal is to build wealth over a long period, equity SIPs are generally recommended. Now, for those who need regular income, debt funds through SIP can provide regular interest income. If you are saving for some specific goals, depending on the time frame of the goal, choose a fund that matches the risk and return profile suitable to meet the goal within the desired period.

The investment duration should be aligned with your financial objectives and risk tolerance. Equity-oriented funds, especially those investing in mid-caps and small-caps, should ideally be invested in for a longer duration due to their potential for higher returns accompanied by higher volatility. A period of at least 5-7 years is recommended to weather market cycles and benefit from the power of compounding. For debt funds or more conservative investment options, a shorter investment horizon, such as 1-3 years, may be appropriate depending on your liquidity needs and risk appetite.

Typically, longer investment horizons can potentially yield higher returns, especially in equity-oriented funds, due to the power of compounding and more time to ride out market volatility. And the ideal duration for a SIP should align with your financial goals. For example, retirement savings are ideally a long-term goal (10 years or more), whereas saving for a car might be a medium-term goal (3-5 years).

Before investing in any SIP, it’s important to review the fund's performance history, the fund manager's strategy, and how it aligns with your investment goals. Consulting a financial advisor to understand the nuances of each fund can also provide clarity and enhance your investment strategy.

Disclaimer

This is an investor education and awareness initiative. 


MUTUAL FUND INVESTMENTS ARE SUBJECT TO MARKET RISKS, READ ALL SCHEME RELATED DOCUMENTS CAREFULLY

Saturday, October 12, 2024

आधा भारत नहीं जानता SIP का 555 फॉर्मूला, जान लेने पर हर आदमी करेगा 5 करोड़ का FIRE

आधा भारत नहीं जानता है SIP का 555 फॉर्मूला, जान लेने पर हर आदमी करेगा 5 करोड़ का FIRE

SIP: FIRE सबसे अधिक बचत और निवेश करने का प्रभावी तरीका है. वित्तीय आजादी एवं समयपूर्व सेवानिवृत्ति को संक्षेप में फायर कहते हैं. आसान शब्दों में जानें, तो वित्तीय भाषा वाले फायर को हिंदी में कंजूसी कहते हैं. वित्तीय आजादी एवं समयपूर्व सेवानिवृत्ति के लिए किसी भी व्यक्ति को 25 से 40 साल की उम्र तक कंजूसी करके खुद और अपने परिवार के खर्चों को कम करके अपनी सालाना आमदनी में से 50 से 70 फीसदी तक बचत करना होगा, जो हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है.



SIP: आज के जमाने में जिंदगी गुजारने के लिए पैसा सबसे अधिक महत्व रखता है. बिना पैसे के जिंदगी बसर होना कठिन है. खासकर रिटायरमेंट के बाद का लाइफ तो और भी अधिक कठिन हो जाता है. ठीक तरीके से रिटायरमेंट के बाद का जीवन बिताने के लिए लोग अपनी गाढ़ी कमाई से बचत करके कहीं न कहीं निवेश करते हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म निवेश हमेशा फायदेमंद होता है. अगर आप लॉन्ग टर्म वाली किसी स्कीम में निवेश करेंगे, तो सुव्यवस्थित निवेश प्लान (SIP) करने का सबसे बेहतर विकल्प म्यूचुल फंड है. वहीं, अगर रिटायमेंट लाइफ के लिए म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं, तो आपको एसआईपी का 555 फॉर्मूला जान जाएंगे, तो आपके पास 5 करोड़ रुपये से अधिक का फंड होगा और आप समय से पहले रिटायरमेंट ले सकते हैं. विशेषज्ञ इसे फाइनेंशियल इंडिपिंडेंट एंड अर्ली रिटायरमेंट (FIRE) कहते हैं. यानी रिटायरमेंट की उम्र से पहले आपके पास 5 करोड़ से अधिक की धनराशि की आजादी होगी. आइए, जानते हैं कि एसआईपी के 555 फॉर्मूले से आप वित्तीय आजादी के साथ समय से पहले रिटायरमेंट कैसे ले सकते हैं?

म्यूचुअल फंड क्या है?

म्यूचुअल फंड एसआईपी के जरिए निवेश करने का एक शक्तिशाली तरीका है. इसके माध्यम से रिटायमेंट की उम्र के करीब पहुंचने से पहले आपके पास एक बड़ा फंड जेनरेट हो जाता है. म्यूचुअल फंड से निवेशकों को मिलने वाला चक्रवृद्धि ब्याज लॉन्ग टर्म के निवेश पर बंपर रिटर्न देता है. ऐसा इसलिए संभव है, क्योंकि आप एसआईपी के जरिए किसी भी म्यूचुअल फंड में हर महीने एक निश्चित राशि निवेश करते हैं. जैसे-जैसे आपके निवेश की रकम बढ़ती जाती है. तब आपको न केवल बाजार से बेहतर रिटर्न मिलता है, बल्कि बीते सालों में आपकी री-इन्वेस्टेड आमदनी पर भी रिटर्न मिलता है. यही क्यूमलेटिव इफेक्ट कंपाउंडिंग के माध्यम से पैसा जमा करने की असली ताकत है, जो केवल म्यूचुअल फंड्स में मिलता है.

एसआईपी का 555 फॉर्मूला क्या है?

एसआईपी के 555 फॉर्मूले में तीन पांच दिए गए हैं. इन तीनों पांच का अपना अलग-अलग महत्व है और इसी आधार पर म्यूचुअल फंड के जरिए रिटायरमेंट की उम्र तक एक बड़ा फंड बनता है. एसआईपी के 555 फॉर्मूल के पहले 5 का अर्थ रिटायमेंट की तारीख से पांच साल पहले ही सेवानिवृत्ति ले लेना. दूसरे 5 का अर्थ यह है कि अगर आपको रिटायरमेंट की तारीख से पहले सेवानिवृत्त हो जाना है, तो आपको अपनी एसआईपी में हर साल करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी करनी होगी. वहीं, तीसरे 5 का मतलब है कि जिस प्रकार आप प्रत्येक 5 साल पर एसआईपी निवेश में हर साल 5 फीसदी की बढ़ोतरी कर रहे हैं, उसे 55 साल की उम्र तक बरकरार रखना है. अगर आप यह सिलसिला 55 साल की उम्र तक बनाए रखते हैं, तो रिटायरमेंट की तारीख से 5 साल पहले आपके पास कम से कम 5 करोड़ रुपये का बड़ा-सा फंड होगा.

एसआईपी के 555 फॉर्मूले से 5 करोड़ रुपये कैसे जमा होंगे?

एसआईपी के 555 फॉर्मूले को आसान शब्दों में ऐसे समझा जा सकता है कि अगर आप नौकरी-पेशा हैं और 25 साल की उम्र से आपने एसआईपी के जरिए किसी म्यूचुअल फंड में हर महीने 10 हजार रुपये जमा करते हैं, तो सालाना आपको कम से कम 12 फीसदी रिटर्न मिलेगा. इसके बाद आप अपने निवेश में हर साल 5 फीसदी की बढ़ोतरी करते हैं, तो अगले 30 साल या 55 साल की उम्र तक आपके पास 5 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि इकट्ठा हो जाएगी. उदाहरण के तौर पर आप देखिए, अगर आप 25 साल की उम्र से 12 फीसदी सालाना रिटर्न देने वाले किसी म्यूचुअल फंड में 10 हजार रुपये महीना जमा करते हैं और हर साल आप अपने निवेश की रकम में 5 फीसदी बढ़ोतरी करते हैं, तो पूरे 30 साल में आपके द्वारा निवेश की गई रकम 79,72,662 रुपये होगी. इस पर आपको सालाना 12 फीसदी ब्याज के हिसाब से अनुमानित रिटर्न 4,47,61,398 रुपये होगा. अब निवेश की गई रकम और 30 साल में मिले रिटर्न को जोड़ देंगे, तो 55 साल की उम्र तक आपके पास 5,27,34,060 रुपये का एक बड़ा फंड हो जाएगा.



*Mutual Fund Investments are subject to Market Risks. Read the documents clearly before investment

Sunday, September 1, 2024

Mutual Fund SIP से जुड़ी 6 बड़ी गलतफहमियां, स्मार्ट इनवेस्टर बनना है तो इनके बारे में जान लें सच

Mutual Fund SIP से जुड़ी 6 बड़ी गलतफहमियां, स्मार्ट इनवेस्टर बनना है तो इनके बारे में जान लें यह सच

 Mutual Fund SIP की लोकप्रियता के बावजूद इनके   बारे में पूरी जानकारी की कमी है. SIP से जुड़ी ऐसी कई   गलत   धारणाएं  हैं, जिन्हें दूर करना स्मार्ट इनवेस्टर   बनने  के लिए जरूरी है.



 Mutual Fund SIP Myths Busted for   Smart Investing : सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) ने बहुत सारे भारतीय निवेशकों के लिए निवेश का तरीका बदल दिया है. म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट करने वाले लोग बड़े पैमाने पर एसआईपी का इस्तेमाल करने लगे हैं. लेकिन एसआईपी की लोकप्रियता के बावजूद इनके बारे में पूरी जानकारी की कमी अब भी बनी हुई है. SIP से जुड़ी ऐसी कई गलतफहमियां (Myths) हैं, जिन्हें दूर करना स्मार्ट इनवेस्टर बनने के लिए जरूरी है. 

गलतफहमी 1 : SIP इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है

बहुत से निवेशक SIP को एक अलग इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट मान लेते हैं. लेकिन असल में, SIP कोई इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि यह एक सुविधाजनक और अनुशासित तरीका है, जिसके जरिये आप म्यूचुअल फंड्स में नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं. SIP के माध्यम से, एक निश्चित रकम हर महीने, हर तीन महीने में या किसी भी तय समय पर आपके बैंक खाते से कटकर आपके चुने हुए म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट की जाती है.

गलतफहमी 2 : SIP अलग एसेट क्लास है 

यह ध्यान रखना जरूरी है कि SIP कोई अलग एसेट क्लास नहीं है और न ही इसके जरिये निवेश करने का मतलब किसी खास रिटर्न की गारंटी है. इसका प्रदर्शन पूरी तरह से उस म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रदर्शन पर निर्भर है, जिसे आपने चुना है. इसलिए SIP को एक एसेट क्लास मानने की बजाय इसे सिर्फ निवेश प्रक्रिया को आसान और ऑटोमेटेड बनाने का एक तरीका मानना चाहिए. कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे पोस्ट ऑफिस या बैंक के रिकरिंग डिपॉजिट होते हैं

गलतफहमी 3: SIP केवल छोटे निवेशकों के लिए है

यह बात तो सच है कि अधिकांश स्कीम्स में आप SIP के जरिये हर महीने महज 1000 रुपये या 500 रुपये जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि SIP केवल छोटे निवेशकों के लिए है. हकीकत तो यह है कि SIP में निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं होती है. कई हाई नेटवर्थ वाले लोग (HNIs) भी SIP के जरिये बड़ी-बड़ी रकम का निवेश करते हैं, ताकि रेगुलर इनवेस्टमेंट करके एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का लाभ ले सकें. दरअसल, SIP का बड़ा फायदा यह है कि इसके जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आप बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा बेहतर ढंग से उठा सकते हैं. क्योंकि जब बाजार नीचे होता है, तो आपको उतनी ही रकम के लिए फंड की अधिक यूनिट्स मिलती हैं और जब बाजार ऊपर होता है, तो कम यूनिट्स मिलती हैं. इससे निवेश की औसत लागत कम हो जाती है. इसी को रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee-Cost Averaging) कहा जाता है

गलतफहमी 4: SIP केवल इक्विटी फंड्स के लिए है

यह मान्यता भी बिल्कुल गलत है कि SIP केवल इक्विटी फंड्स के लिए ही होती है. दरअसल SIP का उपयोग आप डेट फंड्स (Debt Funds) या हाइब्रिड फंड्स से लेकर गोल्ड ईटीएफ तक, हर तरह की स्कीम में निवेश के लिए कर सकते हैं. SEBI की तरफ से मान्यता प्राप्त म्यूचुअल फंड्स में इक्विटी और डेट दोनों तरह की स्कीम्स होती हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के हिसाब से सही स्कीम का चुनाव कर सकते हैं. डेट फंड्स में SIP के माध्यम से निवेश करना, काफी हद तक बैंक में रेकरिंग डिपॉजिट (RD) के जरिये निवेश करने जैसा होता है, जिसमें ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है. डेट फंड्स आमतौर पर इक्विटी फंड्स की तुलना में अधिक स्थिरता देते हैं, इसलिए वे उन निवेशकों के लिए सही हैं, जो जोखिम से बचना चाहते हैं या जिनके इनवेस्टमेंट का फाइनेंशियल गोल शॉर्ट टर्म है.

गलतफहमी 5: SIP से पैसे निकालना मुश्किल होता है

कई निवेशकों को यह गलतफहमी भी रहती है कि SIP शुरू करने के बाद आप अपने पैसों को जब चाहें, निकाल नहीं सकते हैं. यह बात पूरी तरह सच नहीं है. हां, टैक्स सेविंग से जुड़े नियमों के कारण इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) में 3 साल का लॉक-इन पीरियड जरूर होता है, लेकिन ज्यादातर ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स में आप अपने निवेश को कभी भी निकाल सकते हैं. इतना ही नहीं, अगर आपको एक बार SIP शुरू करने के बाद किसी भी वजह से उसे रोकना है, तो आप यह काम भी आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए आपको कोई एक्सट्रा फीस भी नहीं देनी पड़ती है. इसके साथ ही आप पहले से इनवेस्ट की गई यूनिट्स को बेच भी सकते हैं. हालांकि ऐसा करते समय एग्जिट लोड और मुनाफे पर लागू टैक्स की जानकारी ले लेनी चाहिए. एग्जिट लोड आपकी म्यूचुअल फंड यूनिट के होल्डिंग पीरियड के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. 

गलतफहमी 6 : SIP के जरिये सिर्फ लॉन्ग टर्म निवेश कर सकते हैं

यह मान्यता भी पूरी तरह सही नहीं है कि SIP के जरिये निवेश सिर्फ लंबी अवधि के लिए ही किया जा सकता है. हालांकि इक्विटी फंड्स में निवेश करने वालों को आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि वे 5-7 साल या उससे ज्यादा समय तक रेगुलर SIP करें, तभी उन्हें अपने इनवेस्टमेंट पर एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का पूरा लाभ मिलेगा. लेकिन आप अपने निवेश के उद्देश्य के हिसाब से कम अवधि के लिए भी एसआईपी कर सकते हैं. हां, आपको अपने निवेश की अनुमानित अवधि के हिसाब से सही प्रोडक्ट का चुनाव करना होगा. मिसाल के तौर पर कम अवधि के लिए आप अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन या शॉर्ट ड्यूरेशन फंड जैसे किसी डेट फंड में SIP के जरिये निवेश कर सकते हैं. 


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Why you should have Multi Asset Allocation Funds in your portfolios? 


Why you should have Multi Asset Allocation Funds in your portfolios

Why you should have Multi Asset Allocation Funds in your portfolios? 


Why is asset allocation important?

In investing, risk and returns are correlated. You need to balance risk and returns, so that you are able to achieve your investment objectives without taking unnecessary risks. Asset allocation balances risk and returns of diversifying your investments over different asset classes e.g. equity, fixed income, gold, real estate etc. Each asset class has an important and unique role to play in your investment portfolio.

Role of different asset classes in your portfolio

  • Equity: The primary investment objective for equity as an asset class is capital appreciation and wealth creation. Historical data shows that equity as an asset class has the potential to create wealth over long investment horizons. However, equity can be volatile in the short term.

  • Fixed income: Fixed income or debt may generate relatively stable returns. Since fixed income as an asset class is relatively less volatile compared to equity, they are suited for a variety of investment tenures, from a few days to several years.

  • Gold: From time immemorial, gold is considered to be a store of value because it is able to retain its purchasing power over time. In other words, gold is seen as a hedge against inflation.

  • Other asset classes: Apart from the 3 common asset classes mentioned above, other asset classes like silver, real estate, international equities etc. can also play unique roles in diversifying your portfolio

Investor behaviour in market cycles

Equity and gold exhibit cyclicality in their returns. Behavioural biases (e.g. greed and fear) get exposed in market cycles. For example, in bull markets, investors keep investing at higher and higher prices in the hope that prices will rise further. In bear markets, investors sell even at very low prices because they fear that price may fall further. These behavioural biases harm the financial interest of the investors. Timing the market cycles is very difficult because price behaviours of different assets are driven by a variety of factors including macro-economic data, liquidity in financial markets, risk sentiments etc. So, how do we solve this jigsaw of volatility in asset classes? A multi-asset allocation strategy can bring stability to your portfolio across investment cycles.

Multi Asset Allocation Funds

Multi Asset Allocation funds are hybrid mutual fund schemes which invest in 3 or more asset classes. According to SEBI regulations multi asset allocation funds must invest minimum 10% each in at least 3 asset classes. Apart from the two most popular asset classes, fixed income and equity, these schemes can invest in asset classes like gold, silver, real estate investment trusts (REIT), infrastructure investment trusts (InvIT), international equities etc. The fund manager decides the proportional allocation to each asset class based on the market conditions with the objective of balancing risks and returns.

Low correlation of asset class returns

There is low correlation between returns of different asset classes in different market conditions; equity and gold are usually counter-cyclical to each other i.e. gold outperforms when equity underperforms and vice versa (see the chart below). Equity and gold have low correlation with debt. Gold and silver returns are usually correlated but silver tends to outperform gold in early stages of recovery. Multi Asset Allocation will keep you disciplined in your investments and provide you a more stable investment experience viz. if one asset class underperforms, the outperformance of another asset class will balance the risks



Why invest in multi asset allocation?

  • Diversification across asset classes will reduce portfolio volatility due to low correlation of asset class returns across investment cycles.

  • You do not have to guess which asset class will do well in the near term since your investments will be spread across multiple asset classes.

  • As an investor, you will be less susceptible to behavioural biases and stay disciplined in your investments.

  • Multi asset allocation funds have the potential to optimize returns at a given level of risk to ensure that investment experience is better.

  • You may get the benefit of rebalancing in multi asset allocation funds

Is this a good time to invest in multi asset allocation funds?

  • Equities have rallied in anticipation of lower interest rates in coming quarters. Equities may rally further when interest rates actually come down.

  • The rally in equities may have made valuations expensive in certain pockets of the markets.

  • Gold may continue to gain strength when interest rates come down. Traditionally, there has been an inverse relationship between gold prices and interest rates.

  • Bond yields have eased and bond prices will go up when central banks will start cutting interest rates.

  • In these market conditions a multi asset strategy can be suitable for long term investors.

Is this a good time to invest in multi asset allocation funds?

  • Equities have rallied in anticipation of lower interest rates in coming quarters. Equities may rally further when interest rates actually come down.

  • The rally in equities may have made valuations expensive in certain pockets of the markets.

  • Gold may continue to gain strength when interest rates come down. Traditionally, there has been an inverse relationship between gold prices and interest rates.

  • Bond yields have eased and bond prices will go up when central banks will start cutting interest rates.

  • In these market conditions a multi asset strategy can be suitable for long term investors.

Who should invest in multi asset allocation funds?

  • Investors looking for capital appreciation over long investment horizons.

  • Investors who want to reduce portfolio volatility by diversifying across multiple asset classes.

  • Investors with minimum 3 – 5 years investment tenure.

  • Investors with very high risk appetite

  • Investors can invest either in lumpsum or SIP based on their investment needs

Investors should consult their financial advisors or mutual fund distributors if multi asset allocation funds are suitable for their investment needs.

Note: Views provided above based on information available in public domain at this moment and subject to change. Investors should not consider the same as investment advice. Past performance may or may not be sustained in future and is not a guarantee of any future returns.

An Investor Education & Awareness Initiative. 

Mutual Fund Investments are subject to market risk, read all scheme related documents carefully

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Contact: 8360264310

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Mutual Fund SIP से जुड़ी 6 बड़ी गलतफहमियां, स्मार्ट इनवेस्टर बनना है तो इनके बारे में जान लें सच

Wednesday, August 28, 2024

Young Girl of 15 years invents device that converts the movement of the sea into energy


Young Girl of 15 years invents device that converts the movement of the sea into energy


With only $ 12 of investment , Hannah Herbst bought the necessary materials to develop a device that generates renewable energy with the movement of ocean currents . The girl, who lives in Florida, won the  2015 Discovery Education 3M Young Scientist Challenge  and won $ 25,000 as a prize.
Hannah Herbst Award
To build this type of technology, Hannah uses a 3D printed propeller, some PVC pipes, a pulley and a hydroelectric generator. Her prototype produces enough energy to power an LED lamp , but she believes that if she could invest in the construction of a larger prototype, she could charge three batteries in one hour. The interest for the oceanic energy has been increased in the last years with projects of quite spread, the last one that we have known is in Australia
With this energy, it would be possible to supply enough energy for a desalination pump and filter the seawater, to convert seawater into drinking water.
15-year-old scientist invents device that converts the movement of the sea into energy
The value of the prize is already destined: go straight to your savings to pay for college after high school. You have to admit: the girl has talent! If the future of the world depends on it, the lack of drinking water and investment in renewable energy will not be a problem for society. We are getting to know the stories of young people who, with their enthusiasm and ability, want to help develop technologies that respect the environment, such as  Boyan Slat, founder and CEO of " The Ocean Cleanup ",  an organization that will deploy the first system to safely remove plastic waste from the oceans  or  Cynthia Sin Nga Lam, which has developed the H2Pro, a device that purifies wastewater and at the same time produces hydrogen that allows generating electricity using only sunlight.
Hannah started her project while writing to a 9-year-old boy living in Ethiopia, he discovered that his family lived without a reliable source of electricity and drinking water. So Herbst invested his efforts in trying to solve the problem that had the family of that child.
In the following video, Hannah explains in her own words how her contraption works.

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Sunday, August 25, 2024

Mutual Fund NFO : 100 रुपये से निवेश की शुरुवात, लॉन्ग टर्म पे बनेगा तगड़ा पैसा

 

Mutual Fund NFO : 100 रुपये से निवेश की शुरुवात, लॉन्ग टर्म पे बनेगा तगड़ा पैसा



एक्सिस म्यूचुअल फंड हॉउस ने इक्विटी कैटेगरी में अपने नए थीमैटिक फंड को लांच कर दिया है, फंड हॉउस का नया NFO एक्सिस कंजम्प्शन फंड (Axis Consumption Fund) 23 अगस्त से सब्सक्रिप्शन के लिए खुल गया है, NFO सब्सक्रिप्शन की आखिरी तारीख 6 सितम्बर 2024 है. ज्ञात हो की यह एक ओपन इंडेड म्यूचुअल फंड योजना है जिसे कभी भी रिडीम किया या निकाला जा सकता है.

100 रुपये से निवेश की शुरुवात

एक्सिस म्यूचुअल फंड हॉउस का कहना है कि एक्सिस कंजम्प्शन फंड (Axis Consumption Fund) में कम से कम 100 रुपये से व उसके बाद 1 रुपये के गुणक में निवेश कर सकते हैं. बात करें इस योजना के लिए फंड मैनेजर्स की तो तेश दास, श्रेयस देवालकर और कृष्‍णा नारायण (ओवरसीज सिक्‍युरिटीज) हैं. एक्सिस कंजम्प्शन फंड का बेंचमार्क NIFTY India Consumption TRI है.

अलॉटमेंट डेट से 12 महीने के भीतर अगर निवेश का 10 फीसदी रिडीम करते हैं कोई भी एग्जिट लोड चार्ज नहीं होगा, परन्तु इसके ऊपर रिडीम करने पर 1% एग्जिट लोड चार्ज देना होगा, 12 महीने के बाद निवेश रिडीम करने पर एग्जिट लोड चार्ज नहीं लगेगा.

कौन कर सकता है निवेश

म्यूचुअल फंड हॉउस का कहना है की लम्बी निवेश अवधि में यह योजना वेल्थ क्रिएशन के लिए मददगार होगा, योजना के माध्यम से कंजम्‍प्‍शन या कंजम्‍प्‍शन से जुड़े सेक्‍टर्स के कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश करने का मौका मिलेगा. अलॉटमेंट तारीख से 5 कार्य दिवस के बाद यह योजना दोबारा खुलेगी, हालांकि योजना अपना निवेश लक्ष्य हासिल कर लेगा इसकी कोई गारंटी नहीं देती.

Disclaimer : यह आर्टिकल रिसर्च और जानकारियों के आधार पर बनाया गया है, हमारे द्वारा किसी भी प्रकार की फाइनेंसियल एडवाइज नहीं दी जाती शेयर मार्केट (Share Market) में निवेश करना चाहते हैं तब सबसे अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें

हिंदी में Mutual Funds से जुड़ी  जानकारी के लिए ggstaronline.blogspot.com पर आते रहें – धन्यवाद



*all mutual fund investments are subject to market risk. read document carefully.

35 की उम्र पर शुरू की SIP तो करोड़पति बनने के लिए कितना करना होगा निवेश?

 35 की उम्र पर शुरू की SIP तो करोड़पति बनने के लिए आपको कितना करना होगा निवेश ?



जो लोग नौकरी की शुरुआत यानी करीब 25 की उम्र से ही रिटायरमेंट प्‍लानिंग शुरू कर देते हैं, उनके पास अच्‍छा खासा समय पैसा जोड़ने के लिए होता है, लेकिन अगर आपकी उम्र 35 साल है तो 60 की उम्र तक पैसे जोड़ने के लिए आपके पास सिर्फ 25 साल बचे हैं. ऐसे में आपको कितने की SIP शुरू करनी चाहिए?


आज के समय में करोड़पति होना बेशक बड़ी बात लगती हो, लेकिन आज से 25 साल बाद करोड़पति होना वक्‍त की जरूरत होगा क्‍योंकि जिस तरह से महंगाई बढ़ रही है, उसी तरह रुपए की कीमत कम होती जा रही है. ऐसे में समझदारी इसी में है कि बुढ़ापे को सिक्‍योर करने के लिए नौकरी के साथ ही रिटायरमेंट प्‍लानिंग शुरू कर दी जाए, ताकि रिटायरमेंट की उम्र तक आप कम से कम करोड़ की रकम खुद के लिए जोड़ सकें. करोड़ का फंड जुटाने के लिहाज से सबसे बेहतर स्‍कीम म्‍यूचुअल फंड्स SIP को माना जाता है. मार्केट लिंक्‍ड होने के बावजूद ये स्‍कीम लॉन्‍ग टर्म में काफी अच्‍छा रिटर्न देती है जो किसी अन्‍य स्‍कीम से नहीं मिलता

35 साल की उम्र पर 

अगर आपकी उम्र 35 साल हो चुकी है और नौकरी के लिए सिर्फ 25 साल ही बाकी बचे हैं तो आपको कम से कम 6000 की SIP जरूर शुरू कर देनी चाहिए. इसे 25 सालों तक जारी रखिए. 25 सालों में आपका कुल निवेश 18,00,000 रुपए का होगा और इस पर ब्‍याज 95,85,811 रुपए मिलेगा. इस तरह 60 की उम्र पर निवेशित रकम और ब्‍याज को मिलाकर आपको कुल 1,13,85,811 रुपए मिलेंगे.

30 साल की उम्र पर

अगर आपके लिए नौकरी का पीरियड सिर्फ 30 सालों का बचा है तो आप कम से कम 3000 रुपए की SIP शुरू कीजिए और इसे 60 की उम्र तक यानी 30 सालों जारी रखिए. 30 सालों में आप कुल 10,80,000 रुपए का निवेश करेंगे और 12 फीसदी के हिसाब से आपको 95,09,741 रुपए का ब्‍याज मिलेगा. इस तरह 60 की उम्र पर आप 1,05,89,741 रुपए के मालिक होंगे.

25 साल की उम्र पर

अगर आपकी उम्र 25 साल है और आपके पास नौकरी के लिए 35 साल बचे हैं तो आप सिर्फ 2000 रुपए की SIP शुरू करके करोड़ों के मालिक बन सकते हैं. 2000 रुपए की SIP को आप 35 सालों तक जारी रखिए. ऐसे में 35 सालों में आपको सिर्फ 8,40,000 रुपए का निवेश करना होगा. एसआईपी कैलकुलेटर के हिसाब से देखें तो आपको 12 फीसदी के हिसाब से 1,21,50,538 रुपए का ब्‍याज मिलेगा. इस तरह 60 की उम्र पर इन्‍वेस्‍टेड अमाउंट और इंटरेस्‍ट को मिलाकर आपको कुल 1,29,90,538 रुपए मिलेंगे जो1 करोड़ से कहीं ज्‍यादा होंगे.

SIP के जरिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश

बता दें कि SIP के जरिए म्‍यूचुअल फंड में निवेश किया जाता है. सीधेतौर पर स्‍टॉक में पैसा लगाने की तुलना में SIP को कम जोखिमभरा माना जाता है. इसका औसतन रिटर्न 12 फीसदी माना गया है जो किसी भी सरकारी स्‍कीम की तुलना में काफी अच्‍छा है. कंपाउंडिंग का फायदा मिलने के कारण एसआईपी में पैसा बहुत तेजी से बढ़ता है. लॉन्‍ग टर्म की एसआईपी वेल्‍थ क्रिएशन के लिहाज से काफी अच्‍छी मानी जाती है.


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