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Sunday, September 1, 2024

Mutual Fund SIP से जुड़ी 6 बड़ी गलतफहमियां, स्मार्ट इनवेस्टर बनना है तो इनके बारे में जान लें सच

Mutual Fund SIP से जुड़ी 6 बड़ी गलतफहमियां, स्मार्ट इनवेस्टर बनना है तो इनके बारे में जान लें यह सच

 Mutual Fund SIP की लोकप्रियता के बावजूद इनके   बारे में पूरी जानकारी की कमी है. SIP से जुड़ी ऐसी कई   गलत   धारणाएं  हैं, जिन्हें दूर करना स्मार्ट इनवेस्टर   बनने  के लिए जरूरी है.



 Mutual Fund SIP Myths Busted for   Smart Investing : सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) ने बहुत सारे भारतीय निवेशकों के लिए निवेश का तरीका बदल दिया है. म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट करने वाले लोग बड़े पैमाने पर एसआईपी का इस्तेमाल करने लगे हैं. लेकिन एसआईपी की लोकप्रियता के बावजूद इनके बारे में पूरी जानकारी की कमी अब भी बनी हुई है. SIP से जुड़ी ऐसी कई गलतफहमियां (Myths) हैं, जिन्हें दूर करना स्मार्ट इनवेस्टर बनने के लिए जरूरी है. 

गलतफहमी 1 : SIP इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट है

बहुत से निवेशक SIP को एक अलग इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट मान लेते हैं. लेकिन असल में, SIP कोई इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि यह एक सुविधाजनक और अनुशासित तरीका है, जिसके जरिये आप म्यूचुअल फंड्स में नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं. SIP के माध्यम से, एक निश्चित रकम हर महीने, हर तीन महीने में या किसी भी तय समय पर आपके बैंक खाते से कटकर आपके चुने हुए म्यूचुअल फंड में इनवेस्ट की जाती है.

गलतफहमी 2 : SIP अलग एसेट क्लास है 

यह ध्यान रखना जरूरी है कि SIP कोई अलग एसेट क्लास नहीं है और न ही इसके जरिये निवेश करने का मतलब किसी खास रिटर्न की गारंटी है. इसका प्रदर्शन पूरी तरह से उस म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रदर्शन पर निर्भर है, जिसे आपने चुना है. इसलिए SIP को एक एसेट क्लास मानने की बजाय इसे सिर्फ निवेश प्रक्रिया को आसान और ऑटोमेटेड बनाने का एक तरीका मानना चाहिए. कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे पोस्ट ऑफिस या बैंक के रिकरिंग डिपॉजिट होते हैं

गलतफहमी 3: SIP केवल छोटे निवेशकों के लिए है

यह बात तो सच है कि अधिकांश स्कीम्स में आप SIP के जरिये हर महीने महज 1000 रुपये या 500 रुपये जैसी छोटी रकम से भी निवेश शुरू कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि SIP केवल छोटे निवेशकों के लिए है. हकीकत तो यह है कि SIP में निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं होती है. कई हाई नेटवर्थ वाले लोग (HNIs) भी SIP के जरिये बड़ी-बड़ी रकम का निवेश करते हैं, ताकि रेगुलर इनवेस्टमेंट करके एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का लाभ ले सकें. दरअसल, SIP का बड़ा फायदा यह है कि इसके जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आप बाजार के उतार-चढ़ाव का फायदा बेहतर ढंग से उठा सकते हैं. क्योंकि जब बाजार नीचे होता है, तो आपको उतनी ही रकम के लिए फंड की अधिक यूनिट्स मिलती हैं और जब बाजार ऊपर होता है, तो कम यूनिट्स मिलती हैं. इससे निवेश की औसत लागत कम हो जाती है. इसी को रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग (Rupee-Cost Averaging) कहा जाता है

गलतफहमी 4: SIP केवल इक्विटी फंड्स के लिए है

यह मान्यता भी बिल्कुल गलत है कि SIP केवल इक्विटी फंड्स के लिए ही होती है. दरअसल SIP का उपयोग आप डेट फंड्स (Debt Funds) या हाइब्रिड फंड्स से लेकर गोल्ड ईटीएफ तक, हर तरह की स्कीम में निवेश के लिए कर सकते हैं. SEBI की तरफ से मान्यता प्राप्त म्यूचुअल फंड्स में इक्विटी और डेट दोनों तरह की स्कीम्स होती हैं, जिनमें से आप अपनी जरूरत के हिसाब से सही स्कीम का चुनाव कर सकते हैं. डेट फंड्स में SIP के माध्यम से निवेश करना, काफी हद तक बैंक में रेकरिंग डिपॉजिट (RD) के जरिये निवेश करने जैसा होता है, जिसमें ज्यादा रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है. डेट फंड्स आमतौर पर इक्विटी फंड्स की तुलना में अधिक स्थिरता देते हैं, इसलिए वे उन निवेशकों के लिए सही हैं, जो जोखिम से बचना चाहते हैं या जिनके इनवेस्टमेंट का फाइनेंशियल गोल शॉर्ट टर्म है.

गलतफहमी 5: SIP से पैसे निकालना मुश्किल होता है

कई निवेशकों को यह गलतफहमी भी रहती है कि SIP शुरू करने के बाद आप अपने पैसों को जब चाहें, निकाल नहीं सकते हैं. यह बात पूरी तरह सच नहीं है. हां, टैक्स सेविंग से जुड़े नियमों के कारण इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) में 3 साल का लॉक-इन पीरियड जरूर होता है, लेकिन ज्यादातर ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड्स में आप अपने निवेश को कभी भी निकाल सकते हैं. इतना ही नहीं, अगर आपको एक बार SIP शुरू करने के बाद किसी भी वजह से उसे रोकना है, तो आप यह काम भी आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए आपको कोई एक्सट्रा फीस भी नहीं देनी पड़ती है. इसके साथ ही आप पहले से इनवेस्ट की गई यूनिट्स को बेच भी सकते हैं. हालांकि ऐसा करते समय एग्जिट लोड और मुनाफे पर लागू टैक्स की जानकारी ले लेनी चाहिए. एग्जिट लोड आपकी म्यूचुअल फंड यूनिट के होल्डिंग पीरियड के हिसाब से अलग-अलग हो सकता है. 

गलतफहमी 6 : SIP के जरिये सिर्फ लॉन्ग टर्म निवेश कर सकते हैं

यह मान्यता भी पूरी तरह सही नहीं है कि SIP के जरिये निवेश सिर्फ लंबी अवधि के लिए ही किया जा सकता है. हालांकि इक्विटी फंड्स में निवेश करने वालों को आम तौर पर यह सलाह दी जाती है कि वे 5-7 साल या उससे ज्यादा समय तक रेगुलर SIP करें, तभी उन्हें अपने इनवेस्टमेंट पर एवरेजिंग और कंपाउंडिंग का पूरा लाभ मिलेगा. लेकिन आप अपने निवेश के उद्देश्य के हिसाब से कम अवधि के लिए भी एसआईपी कर सकते हैं. हां, आपको अपने निवेश की अनुमानित अवधि के हिसाब से सही प्रोडक्ट का चुनाव करना होगा. मिसाल के तौर पर कम अवधि के लिए आप अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन या शॉर्ट ड्यूरेशन फंड जैसे किसी डेट फंड में SIP के जरिये निवेश कर सकते हैं. 


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